abhiwrites

Add To collaction

अनकहे अल्फाज –३

तेरी दुनिया में नहीं रहता था,

फिर भी मैं तुझमें कहीं रहता था,

चांद तारे थे तिरी जुल्फों में,
मैं भी वहीं रहता था,

मैं हूँ मैं,
और मैं बन के ज़मीं रहता था,

ये जो वीरान सी आंखें हैं तिरी,
मैं बहोत पहले संगत रहता था।


   21
2 Comments

अदिति झा

17-Feb-2023 12:36 AM

Nice

Reply

शानदार

Reply